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बेरोजगार रहने से ज्यादा नुकसानदायक है तनावपूर्ण नौकरी- स्टडी

बेरोजगार रहने से ज्यादा नुकसानदायक है तनावपूर्ण नौकरी- स्टडी बेरोजगार लोगों के मुकाबले कम वेतन पर तनावपूर्ण माहौल में नौकरी कर रहे लोगों की सेहत ज्यादा खराब होती है। ब्रिटेन में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक शोध के बाद इस बात का खुलासा किया है। शोध में खुलासा किया गया है कि कम वेतन पर काम करने वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की अधिक आशंका होती है। शोध करने वाले वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। शोधकर्ताओं ने वर्ष 2009 से 2010 के दौरान बेरोजगार 35 से 75 साल की आयु के 1,000 लोगों का अध्ययन किया। उन्होंने आगामी कुछ वर्षों में इन लोगों के स्वास्थ्य और उनके हार्मोन्स द्वारा दिखाई दे रहे तनाव के स्तर पर नजर रखी। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तरानी चंदोला समेत शोधकर्ताओं के दल ने पाया कि खराब गुणवत्ता का काम करने वाले वयस्कों में दीर्घकालिक स्तर का उच्च तनाव स्तर पाया गया जबकि जो लोग बेरोजगार रहे उनमें यह कम देखा गया। शोधकर्ताओं ने कहा कि अच्छी नौकरी करने वाले वयस्कों में बायोमार्कर का कम स्तर पाया गया।

हेल्थ डेस्क: जानिए क्या है ये इन्सेफेलाइटिस या जापानी बुखार, ये है लक्षण और बचाव के उपाय

हेल्थ डेस्क: गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में महज 36 घंटे में हुई 30 बच्चों की मौंत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इतने बच्चों की मौत एक साथ कैसे हुई। यूपी के सीएम आदित्यनाथ योग ने आक्सीजन की कमी से बच्चों की हुई मौंत ने प्रशासन के इंतजाम पर सवाल खड़े कर दिए है। आपको बता दें कि जान गंवाने वाले बच्चों में ज्यादातर बच्चे इन्सेफेलाइटिस  से पीडित थे। जिन बच्चों को ये बीमारी थी उन्हें ऑक्सीजन की सख्त जरुरत थी। ये भी पढ़ें: अगर आपके हाथ से निकलता है ज्यादा पसीना, तो आप है इस बीमारी के शिकार भूलकर भी प्रेग्नेंसी के समय न करें इन चीजों का सेवन, हो सकता है हानिकारक अपनाएं ये घरेलू उपाय और सिर्फ 2 दिन में पाएं पेट के कीड़ो से निजात एक रिर्पोट के अनुसार हर साल कई बच्चों की मौंत इस बीमारी से होती है। जानिए आखिर क्या है ये बीमारी क्या है इसके लक्षण और बचने का उपाय। गोरखपुर पर कहर बन कर टूटा इन्सेफेलाइटिस का दूसरा नाम जपानी बुखार है। यह करीब 90 साल पुरानी जानलेवा बीमारी है, लेकिन अभी तक इसका एंटी वायरल ड्रग उपलब्ध नहीं है। जानिए क्या है जापानी इन्सेफेलाइटिस यह...

पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो...

पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो... आँसू छिपाते हो फेर कर नज़रे , इतना फीका मुस्कुराया न करो ..पापा मुझे छोड़ने आया न करो... हिदायत से घर भर की लाइट्स बुझाते , सोच कर भी न कितने सामान खरीदते , गाड़ी का माइलेज चेक करते रहते , मेरे हाथ में ए टी एम थमाया न करो ... पापा मुझे छोड़ने स्टेशन आया न करो । पानी की बॉटल रखी या नही , टिकट कही भूली तो नही , पर्स में खुले पैसे रखे या नही   इतना नम प्यार जताया न करो ....पापा मुझे छोड़ने आया न करो । सीट के नीचे बैग जमाते , ध्यान रखना अकेली जा रही , साथ की किसी महिला को बताते , पल पल इतनी चिंता जताया न करो ...पापा मुझे छोड़ने आया न करो । पहुँचते ही कर देना फोन , अब कब होगा आना फिर तुम्हारा , रग रग कर देते हो तन्हा , उदासी से सर पर हाथ फिराया न करो.. आप स्टेशन आया न करो.. मैं खामोश रीती हो जाती , जी भर ऐसे गले लगाया न करो... दूर तक देखती रह जाती हूँ बिखर कर , ग़मगीन खड़े यू हाथ हिलाया न करो ,.. आप स्टेशन आया न करो... चप्पा चप्पा कर देते हो वीरान , रुन्धा गला बेमतलब बातो में छिपाया न करो , मेरा आगा पीछा सोच सोच , अपना कलेजा दुखाया...

विभत्स हूँ .. विभोर हूँ ... मैं समाधी में ही चूर हूँ .

विभत्स हूँ .. विभोर हूँ ... मैं समाधी में ही चूर हूँ ...  घनघोर अँधेरा ओढ़ के मैं जन जीवन से दूर हूँ ..  श्मशान में हूँ नाचता .. मैं मृत्यु का ग़ुरूर हूँ ..  साम - दाम तुम्हीं रखो .. मैं दंड में सम्पूर्ण हूँ ..  चीर आया चरम मैं .. मार आया "मैं" को मैं ..  "मैं" , "मैं" नहीं "मैं" भय नहीं .. जो तू सोचता है मैं केवल वो भी नहीं .. मैं काल का कपाल हूँ .. मैं मूल की चिंघाड़ हूँ .. मैं आग हूँ मैं राख हूँ .. मैं पवित्र रोष हूँ .. मुझमें कोई छल नहीं .. तेरा कोई कल नहीं .. मैं पंख हूँ मैं श्वास हूँ .. मैं ही हाड़ माँस हूँ .. मैं मग्न - चिर मग्न हूँ .. एकांत में उजाड़ में .. मौत के ही गर्भ में हूँ .. ज़िंदगी के पास हूँ .. अंधकार का आकार हूँ .. प्रकाश का प्रकार हूँ .. मैं कल नहीं मैं काल हूँ . वैकुण्ठ या पाताल ही नहीं ..मैं मोक्ष का भी सार हूँ .. मैं पवित्र रोष हूँ .. मैं अघोर हूँ .. post by Rajendra