निर्धन जनता का शोषण हे

संकलित
निर्धन जनता का शोषण है
कहकर आप हँसे।
लोकतंत्र का अंतिम क्षण है
कहकर आप हँसे।
सब के सब हे भ्रष्टाचारी
कहकर आप हँसे।
चारो और बड़ी लाचारी
कहकर आप हँसे।
कितने आप सुरक्षित होंगे
मै सोचने लगा।
सहसा मुझे अकेला पाकर
फिर से आप हँसे।

पुष्पेन्द्र

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