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Showing posts from January, 2015

EK kavita

मत समझिये कि मैं औरत हूँ, नशा है, मुझमें  माँ भी हूँ बहन भी, बेटी भी, दुआ है मुझमें  हुस्न है, रंग है, खुशबू है, अदा है मुझमें  मैं मुहब्बत हूँ, इबादत हूँ, वघ है मुझमें  कितनी आसानी से कहते हो कि क्या है मुझमें  जब्त है, सब्र-सदाकत है, अना है मुझमें  मैं फकत जिस्म नहीं हूँ कि फना हो जाऊं  आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें  मुझको करता है खबरदार खता से पहले  मुझको इतनी है तसल्ली कि खुदा है मुझमें  इक ये दुनिया जो मुहब्बत में बिछी जाये है  एक वो शख्स जो मुझसे ही खफा है मुझमें  अपनी नजरों में ही कद आज बढा है अपना  जाने कैसा ये बदल आज हुआ है मुझमें  दुश्मनों में भी मेरा जिक्र ‘किरण’ है अक्सर  बात कोई तो जमाने से जुदा है मुझमें ...  पते सहरा को दरिया दे क्या कोई ऐसा भी है  खुश्क तोहफे में गुडया दे क्या कोई ऐसा भी है  बादल ने तो छला हमेशा रस्ता तकती फसलों को  सूखे खेतों को हरिया दे क्या कोई ऐसा भी है  फिक्र-तनावों के चलते अब पलक कहाँ मुंद पाती है  जो जगरातों को निंदिया दे क्या कोई ...

hastimal hasti

अच्छे-अच्छे बचते हैं  सच को दार समझते हैं  तुमसे तो काँटे अच्छे  सीधे-सीधे चुभते हैं  फूलों की दूकानों के  पत्थर तलक महकते हैं  सबके बस का रोग नहीं  जिसे फकीरी कहते हैं  फूल महकने वाले तो  खिलते-खिलते-खिलते हैं।  mereBlog pe 

गई कलम की धार कहाँ है ?

गई कलम की धार कहाँ है ? खनक रहा कलदार जहाँ है ।।  सर्जक सत्ता के गिरवी हैं, सच का पहरेदार कहाँ है ?  शब्द हुए क्योंकर बेमानी, ओस और अंगार कहाँ है ?  कागज कारे करते कितने, अक्षर में ओंकार कहाँ है ?  दूर उजालों में जो बस्ती, वहाँ तीज-त्योहार कहाँ है ? ab na basanti dhar kaha he. tera wo ehsas kaha he. pushpendra Written By  डॉ. मनोहर प्रभाकर

MADAM G

story of a madam. a educated lady. struggle her life. love,romance, success new drama new film by raj kumar sir