गई कलम की धार कहाँ है ?



गई कलम की धार कहाँ है ?
खनक रहा कलदार जहाँ है ।। 
सर्जक सत्ता के गिरवी हैं,
सच का पहरेदार कहाँ है ? 
शब्द हुए क्योंकर बेमानी,
ओस और अंगार कहाँ है ? 
कागज कारे करते कितने,
अक्षर में ओंकार कहाँ है ? 
दूर उजालों में जो बस्ती,
वहाँ तीज-त्योहार कहाँ है ?

ab na basanti dhar kaha he.
tera wo ehsas kaha he.
pushpendra






Written By डॉ. मनोहर प्रभाकर

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