this valentine day



मुस्कान और सुगन्ध 
पुष्प !
कल तुम मुरझा जाओगे
फिर क्यों मुस्कुराते हो ?
व्यर्थ में
यह ताजगी किसलिए लुटाते हो ? 
फूल चुप रहा -
इतने में एक तितली आई
क्षण भर आनन्द लिया, उड गई
एक भौंरा आया
गान सुनाया, चला गया
सुगन्ध बटोरी, आगे बढ गया
खेलते हुए एक बालक ने
स्पर्श सुख लिया
रूप-लावण्य को निहारा
फिर खेलने लग गया । 
तब फूल बोला -
मित्र् !
क्षण भर को ही सही
मेरे जीवन ने कितनों को सुख दिया है
क्या तुमने कभी ऐसा किया है ?
कल की चिन्ता में
आज के आनन्द में विराम क्यों करूँ ?
माटी ने जो रूप, रस, गंध और रंग दिया है
उसे बदनाम क्यों करूँ*?

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